At a Glance

 

महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय

विकास यात्रा

सम्पूर्ण विश्व में भारतीय शाश्वत् सनातन वैदिक ज्ञान-विज्ञान के प्रचार-प्रसार, शिक्षा एवम् उसके जीवनपरक सिद्धांतों एवम् प्रयोगों का लाभ मानव समाज को उपलब्ध कराने का महर्षि जी का संकल्प फलीभूत हुआ। महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय की स्थापना मध्यप्रदेश विधान सभा के माननीय सदस्यों द्वारा दिनांक 19 सितम्बर 1995 को इस आशय के विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर की गई।

दिनांक 29 नवम्बर 1995 को शासकीय राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना के द्वारा यह वैदिक विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया। विश्वविद्यालय का मुख्यालय एवं मुख्य परिसर वेदभूमि, पूर्णभूमि-भारतभूमि के भौगोलिक केन्द्र ब्रह्मस्थान, ग्राम-करौंदी, जिला-कटनी में स्थित है।

3 अक्टूबर 1995 विजयादशमी के शुभ मूहूर्त पर भोपाल के रविन्द्र भवन के मुक्ताकाश मंच पर विश्वविद्यालय का विधिवत् उद्घाटन समारोह हुआ। इसमें म.प्र. के माननीय मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, अन्य मंत्रीगण, अनेक वैदिक विद्वान तथा विश्व भर के महर्षि संस्थान के विशिष्ट विद्वानों तथा वैज्ञानिकों ने भाग लिया।

विश्वविद्यालय के अधिनियम के अनुसार विश्वविद्यालय द्वारा लगभग 35 करोड़ रूपये खर्च करते हुये 1995-96 में मध्यप्रदेश के 45 जनपदों में अध्ययन परिसारों की स्थापना की गई जिनमें 300 से अधिक स्थायी और लगभग 300 अस्थायी शैक्षणिक-अशैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति की गई।

सत्र 1996-97 से वर्ष 1999-2000 में हजारों विद्यार्थियों ने विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेकर ज्ञानार्जन किया।

दिनांक 24 अक्टूबर 1996 को महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय भारतीय विश्वविद्यालय संघ का सदस्य बना।

तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्यालय में नवम्बर 1997 को पधारे। माननीय मुख्यमंत्री जी ने विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कार्यालय का भ्रमण किया एवं विश्वविद्यालयीन कार्याप्रणाली पर चर्चा की। मुख्यमंत्री जी ने परम पूज्य महर्षि महेश योगी जी को सादर नमन किया एवं विश्वविद्यालय के कार्यों की सराहना करते हुए संतोष व्यक्त किया। इस अवसर पर राज्यमंत्री श्री सत्यनारायण शर्मा जी भी उपस्थित थे।

महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर में भवनों का शिलान्यास समारोह ग्राम करौंदी में दिसम्बर 1997 में ब्रह्मचारी गिरीश जी, के कर कमलों द्वारा वैदिक परम्परा के अनुसार सम्पन्न किया गया। परम पूज्य जगद्गुरु शंकराचार्य श्री वासुदेवानन्द सरस्वती जी महाराज, ज्योतिष्पीठाधीश्वर बद्रिकारम की दैवीय उपस्थिति इस कार्यक्रम के लिए बहुत महत्वपूर्ण थी। इस कार्यक्रम में प्रादेशिक स्तर के गणमान्य नेतागण, अधिकारी, शिक्षाविद्, महर्षि संस्थान के समपूर्ण भारत के उच्च पदस्थ अधिकारी उपस्थित थे। लगभग 50 देशों से वैज्ञानिक, शिक्षाविद् तथा महिर्ष विश्वव्यापी संस्थान के पदाधिकारी भी उपस्थित हुए।

महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय द्धारा वेद विज्ञान एवं देववाणी संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार करने एवं इसके महत्व को अधिकाधिक जनों तक पहुँचाने हेतु प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया गया। इस तारतम्य में सर्वप्रथम वैदिक विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को संस्कृत भाषा का प्रशिक्षण प्रदान किया गया, जिससे विश्वविद्यालय कार्य में संस्कृत भाषा का अधिकाधिक प्रयोग हो सके। इस प्रशिक्षण का आयेजन विश्वविद्यालय में 25 मार्च 1998 से 10 मई 1998 तक किया गया। इस दौरान प्रशासनिक कार्यालय में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने संस्कृत का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

जुलाई 1998 में तकनीकि शिक्षा संचालनालय, मध्य प्रदेश शासन से बैचलर आँफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) तथा बैचलर आँफ कम्प्यूटर एप्लीकेशन (बीसीए) पाठ्यक्रमों के संचालन की अनुमति प्राप्त हुई।

अगस्त 1998 में महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू.जी.सी.)के सेक्शन 2(एफ) के अन्तर्गत मान्यता प्राप्त हुई।

प्रशासनिक कार्यालय में विश्वविद्यालय के ज्योतिषाचार्य श्री अखिलेश्वर मिश्र के मार्गदर्शन में अधिकारियों, शिक्षकों, तथा कर्मचारियों हेतु ज्योतिष का परिचयात्मक प्रशिक्षण शिविर कार्यक्रम दिनांक 15 सितम्बर 1998 से 15 अक्टूबर 1998 तक आयोजित किया गया। इस शिविर में सभी ने ज्योतिष विषय के सिद्धांतों, गहराईयों एवं महत्व को अत्यन्त सरल एवं सहज रूप से आत्मसात किया। आम नागरिकों में संस्कृत के प्रति रूचि बढे एवं देववाणी को सरलता एवं सहजता से लिखनें समझने का अवसर प्राप्त हो इस उद्देश्य से वैदिक विश्वविद्यालय द्धारा निःशुल्क एवं मासिक संस्कृत प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन जबलपुर परिसर में दिनांक 20 जुलाई 1998 से 20 अगस्त 1998 तक किया गया। इस प्रशिक्षण के दौरान नगर के अनेक व्याक्तियों ने संस्कृत भाषा का प्रशिक्षण प्राप्त किया एवं वैदिक विश्वविद्यालय द्धारा की गयी इस पहल की भूरि-भूरि प्रशंसा की। देववाणी संस्कृत के महत्व को आत्मसात करते हुए छात्रों एवं समाज के विभिन्न वर्गो के व्यक्तियों को संस्कृत के प्रति रूचि जागृत करने के औचित्य से विश्वविद्यालय ने संस्कृत दिवस का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का आयोजन नगर के प्रख्यात संत स्वामी श्यामदास जी महाराज के मुख्यातिथ्य एवं कुलपति प्रो. आद्या प्रसाद मिश्र जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। विश्विद्यालय के शिक्षकों एवं छा़त्रों द्धारा संस्कृत में गीत, संगीत तथा लघुनाटिका की प्रस्तुति की गई । छात्र छात्रों द्धारा सुसज्जित संस्कृत प्रदर्शिनी को देखकर अतिथियों ने इसमें किए गए प्रयासों की खुले अंतःकरण से सराहा एवं आयोजकों को धन्यवाद ज्ञापित किया। महाभारत काल में रचित विश्व के सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ श्रीमद् भगवदगीता की अक्षुष्ण ज्ञान की श्रेष्ठता की पीढी दर पीढी आगे बढाने के औचित्य से निर्धारित गीता जयनती का द्धि-द्धिवसीय कार्यक्रम वैदिक विश्वविद्यालय में सानन्द सम्पन्न हुआ। प्रथम चरण में विभिन्न महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों द्धारा गीता पाठ व भाषण में सहभागिता ने गीता के महत्व को युवा वर्ग में आत्मसात करने की प्रवृत्तियों का दर्शन रहा। द्धितीय चरण विद्धानों द्धारा गीताजयन्ती एवं श्रीमद् भगवदगीता के विभिन्न पक्षों की व्याख्या एवं विष्लेषणात्मक उद्बोधन का रहा, जो उपस्थित सभी वर्गो के व्यक्तियों के लिए गीता के महत्व को आत्सात करने में प्रेरणास्पद सिद्ध हुआ।

मानस मर्मज्ञ पं. रामकिकंर उपाध्याय जी का स्वागत एवं अभिनन्दन महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय के जबलपुर परिसर में सम्पन्न हुआ। माननीय कुलपति प्रो. आद्याप्रसाद मिश्र जी ने पं. उपाध्याय जी का विश्वविद्यालय की और से अभिनन्दन किया। माननीय कुलसचिव जी ने पं. उपाध्याय जी को विश्वविद्यालय के सिद्धांतों तथा प्रायोगिक कार्यक्रमों से अवगत कराया। पं.रामकिंकर जी ने पूज्य महर्षि महेश योगी द्धारा किए जा रहे वेद के प्रचार प्रसार के कायों की प्रशंसा करते हुए महर्षि जी को अपना सादर नमन किया । पं.रामकिकंर जी ने रामचरित मानस के महत्व की चर्चा करते हुए धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष, की प्राप्ति में महत्वपूर्ण ग्रन्थ बताया।

महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय द्धारा दिनांक 17 एवं 19 नवम्बर को देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर में आयोजित कुलपतियों के सम्मेलन में उपस्थित प्राच्य विद्या के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के सानिध्य का अवसर उपलब्ध कराया गया। विश्वविद्यालय के इन्दौर स्थित परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में ए.आई.यू. के अध्यक्ष प्रो. रिन पोछे सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मण्डन मिश्रा, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा के कुलपति प्रो. सत्यदेव त्रिपाठी एवं वेद के अन्य प्रकाण्ड विद्धान उपस्थित थे।

जून 2005 में महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् द्वारा बी.एड. पाठ्यक्रम के संचालन की और सितम्बर 2006 में डी.एड. पाठ्यक्रम के संचालन की अनुमति प्राप्त हुई।

नवम्बर 2006 में दूरस्थ शिक्ष परिषद् द्वारा वैदिक विश्वविद्यालय को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से बीए, बीकाम, बीसीए, एमबीए, एवं बीएड पाठ्यक्रमों के संचालन की अनुमति प्राप्त हुई।

अप्रैल 2007 में दूरस्थ शिक्षा परिषद् द्वारा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के सर्टिफिकेट इन कम्प्यूटिंग एवं पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन आडियो प्रोग्राम प्रोडक्शन के पाठ्यक्रमों के संचालन की अनुमति प्राप्त हुई।

जनवरी 2008 में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् द्वारा विश्वविद्यालय को बीपीएड पाठ्यक्रम के संचालन की अनुमति प्रदान की गई।

जून 2009 में दूरस्थ शिक्षा परिषद् द्वारा महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय का पार्टनर इंस्टीट्यूशन बनाया गया जिसके द्वारा कन्वर्जेन्स योजना के अंतर्गत विश्वविद्यालय को एमबीए, एमपीए, एमएसडब्ल्यू, एमएआरडी, एमकाम, एमसीए, बीएड, बीएसडब्ल्यू, बीए, बीकाम, बीपीपी, पीजीडीएफएम, पीजीडीएचआरम, पीजीडीएमएम, पीजीडीआईएम, पीजीडीडीई, पीजीडीएचई, पीजजीडीआरडी, पीजीआईएमसी, पीजीडीएसएलएम, डीएनएचई, डीपीई, डीआईएम, सीओएफएन, सीएनसीसी, सीसीपी, सीआरडी, सीपीई, सीबीएस, पाठयक्रमों को संचालन की अनुमति प्राप्त हुई।

आज महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविधालय के विभिन्न आवासीय परिसर -ब्रहृमस्थान करौंदी, भोपाल, इन्दौर एवं जबलपुर एवं अन्य स्थानों से 700 से अधिक एसोसिएट इंस्टीटयूट तथा विभिन्न दूरस्थ शिक्षा केन्द्र संचालित हो रहे हैं जिनमें विश्वविधालय के लगभग 25000 छात्र-छात्रायें अध्ययन कर रहे हैं।

शाश्वत् वैदिक गुरु परम्परा, गुरुदेव श्री ब्रह्मानन्द सरस्वती जी महाराजा, महर्षि महेश योगी जी का आशीर्वाद ओर देवी कृपा विश्वविद्यालय के साथ है। विश्वविद्यालय की स्थापना और इसके उद्देश्य पवित्र एवं सम्पूर्ण विश्व परिवार के समस्त प्राणियों के लिये सर्वकल्याणकारी, मंगलकारी हैं।

विश्वविद्यालय वेद और वैदिक वांगमय के 40 क्षेत्रों के पाठ्यक्रम तो उपलब्ध करा ही रहा है, साथ-साथ शिक्षा की मुख्य धारा में भौतिक शिक्षा के अतिरिक्त आध्यात्मिक ओर आधिदैविक शिक्षा का समावेश करके समाज के सभी क्षेत्रों, विषयों और सभी वर्गों के विद्यार्थियों को जीवन परक विद्या प्रदान कर सुख, शांति, समृद्धि और अजेयता का अनुभव प्रदान कर रहा है।

महर्षि जी प्रणीत भावातीत ध्यान और साधना के अग्रिम कार्यक्रमों के अभ्यास से हजारों विद्यार्थी और उनके पारिवारिक सदस्य चेतना की उच्च अवस्थाओं का अनुभव कर रहे हैं और समस्त विश्व की सामूहिक चेतना को सतोगुणी, निर्मल, स्वच्छ, प्रदूषण मुक्त और अधिकाधिक परस्पर सद्भावना पूर्ण बना रहे हैं। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय एकता, शांति और अजेयता के लिये यह महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय संकल्पबद्ध है और महर्षि जी द्वारा प्रदर्शित विश्व कल्याण के राजमार्ग पर निरन्तर चलायमान रहेगा।

वर्तमान कुलाधिपति ब्रह्मचारी (डा.) गिरीश जी के विश्वव्यापी कुशल प्रशासनिक अनुभव एवं वैदिक ज्ञान के मार्गदर्शन में महर्षि विश्वविद्यालय उन्नति के पथ पर अग्रसर है।

25 जुलाई 2010 श्री गुरुपूर्णिमा के पावन पर्व पर विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षान्त समारोह का आयोजन विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर-भारत के भौगोलिक केन्द्र ब्रह्मस्थान में आयोजित गया, जहाँ विभिन्न पाठ्यक्रमों मे सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले तथा विद्यावारिधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पदकों व उपधियों से अलंकृत कर सम्मानित किया गया।

महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय परिवार आप सबके लिये मंगल शुभकामनायें करता है।

महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय विजयन्तेतराम्

जय गुरुदेव, जय महर्षि